My Childhood Summary In Hindi

प्रो० अब्दुल कलाम का जन्म और बचपन
यह पाठ हमें प्रो० अब्दुल कलाम के बचपन के बारे में बताता है। वे दुनिया के महानतम वैज्ञानिकों में एक हैं। उनके पिता का नाम जैनुलआबदीन था। उसकी माता का नाम आशिअम्मा था। उनको जन्म सन् 1931 में रामेश्वरम् में हुआ था। उनके माता-पिता न तो अधिक पढ़े लिखे थे न ही अमीर। फिर भी वे बड़े उदार और दयालु थे। परिवार से बाहर के बहुत से व्यक्ति प्रतिदिन उनके यहाँ भोजन करते थे।

उनका घर और परिवार
अब्दुल कलाम के तीन भाई और एक बहन थी। वे सभी अपने पूर्वजों से प्राप्त पुराने घर में रहते थे। वह बड़ा तथा पक्का मकान था। यह रामेश्वरम् की मस्जिद गली में था।

उनकी पहली कमाई
अब्दुल कलाम आठ वर्ष का ही था जब सन् 1939 में दूसरा विश्वयुद्ध छिड़ गया। अचानक इमली के बीजों की माँग बढ़ गयी। अब्दुल कलाम इन चीजों को इकट्ठा करके बाजार में बेच देता था। उसका एक चचेरा भाई समसुद्दीन समाचार पत्रों का वितरक था। उसने अब्दुल कलाम को अपने सहायक के रूप में नियुक्त कर लिया। इस प्रकार बालक अब्दुल की पहली कमाई हुई।

नये अध्यापक को जातीय कार्य
अब्दुल कलाम के माता-पिता ने उसको काफी प्रभावित किया। उसके कुछ मित्रों और अध्यापकों ने भी उसे प्रभावित किया। वह रामेश्वरम् प्रारम्भिक विद्यालय की पाँचवीं कक्षा में था। एक नये अध्यापक कक्षा में आये। अब्दुल अपने घनिष्ट मित्र रामानाध शास्त्री के साथ प्रथम पॅक्ति में बैठा था। नये अध्यापक एक हिंदू पुजारी के पुत्र का एक मुसलमान लड़के के पास बैठना सहन नहीं कर सके। उन्होंने अब्दुल से पीछे की पंक्ति में बैठने के लिये कहा।

अध्यापक के कार्य का प्रभाव
वह बड़ा दु:खी हो उठा और रामानाध शास्त्री का भी यही हाल था। पिछली पक्त में जाते हुए अब्दुल ने देखा कि शास्त्री रो रहा था। इस बात का अब्दुल पर बड़ा असर हुआ। बाद में रामानाध शास्त्री के पिता ने अध्यापक को बुलाया। उसने उसे बच्चों के बीच सामाजिक विभाजन का जहर न फैलाने के लिए कहा। अध्यापक ने इसके लिए माफी माँगी।

उनके विज्ञान अध्यापक का जाति-विरोधी कार्य
अब्दुल के विज्ञान-अध्यापक शिवसुब्रमनिया औयर ऊँची जाति के ब्राह्मण थे। उनकी पत्नी बड़े पुराने विचारों की थी। परंतु उन्होंने सामाजिक बंधनों को तोड़ने का भरसक प्रयत्न किया। एक दिन उन्होंने अब्दुल को अपने घर भोजन का निमंत्रण दिया। उनकी पत्नी ने अब्दुल को अपनी रसोई में खाना परोसने से इन्कार कर दिया। इस पर शिवसुब्रमनिया ने अपने हाथों से अब्दुल को खाना परोसा। उसने उसके पास बैठकर अपना भोजन भी लिया। अध्यापक ने अब्दुल को सप्ताहान्त पर फिर आने को कहा। वह अगले सप्ताह उनके घर गया। उनकी पत्नी अब्दुल को अपनी रसोई में ले गईं। उसने उसे अपने हाथों से खाना परोसा।

अब्दुल की मानवीय गुणों की विरासत
अपने पिता से अब्दुल को ईमानदारी और आत्मसंयम विरासत में मिला। अब्दुल कलाम बड़ा हो गया। उसने अपने पिता से रामनाथपुरम में जाकर अध्ययन की आज्ञा माँगी। उसके पिता ने उसे जाने की अनुमति दे दी। उसने अपनी पत्नी को सांत्वना दी जो भावुक हो गई थी|

अब्दुल कलाम के पिता द्वारा उसकी माँ को मपझना
अब्दुल कलाम के पिता ने प्रसिद्ध फारसी दार्शनिक खलील जिब्रान का उल्लेख किया। उसने उसे बताया कि उसके बच्चे उसके नहीं हैं। वे तो जीवन के अपने प्रति इच्छा के पुत्र और पुत्रियाँ हैं। वे उसके द्वारा आते हैं परन्तु उससे नहीं आते। वह उन्हें अपना प्यार दे सकती है। परन्तु उनके विचार उनके अपने हैं।


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